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मेरे प्यारे मित्रों, बंधू एवं आदरणीय स्नेहीजन भाईयों,

राजनीतिके चक्कर में आपसी सम्बन्ध बर्बाद न करें।

अगर आपका कोई साथी आपसे अलग विचारधारा रखता है तो इसका कत्तई ये मतलब नहीं हैं ।  कि वो विद्रोही है ।

सरदार भगत सिंह कम्यूनिस्ट बिचारधारा रखते थे, बिस्मिल आर्यसमाजी थे, और सब के सब देशभक्त थे।

जब किसीको खून की जरुरत होती है तो शायद ही किसी पार्टी का नेता देने जाता हो लेकिन आपका दोस्त जरूर जायेगा ! जो आपके लिए खून दे सकता है उससे राजनीतिक बात पर बहस न करे । कही ऐसा न हो आप तर्क तो जीत जाये और सम्बन्ध हार जाये ।

अत: आपसे एक नम्र विनती यह की "मत-भेद" से "मन-भेद" न हो जाये उसके प्रति खास सावधान रहियेगा !

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